THE BEST HINDI STORY DIARIES

The best hindi story Diaries

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इमेज कैप्शन, मुंशी प्रेमचंद की कहानियां 'मानसरोवर' नामक संग्रह में प्रकाशित हुई हैं. ....में

नैतिक शिक्षा –  जो दूसरों के दर्द को समझता है उसे दुःख छू भी नहीं पता।

''एक राजा निरबंसिया थे”—माँ कहानी सुनाया करती थीं। उनके आसपास ही चार-पाँच बच्चे अपनी मुठ्ठियों में फूल दबाए कहानी समाप्त होने पर गौरों पर चढ़ाने के लिए उत्सुक-से बैठ जाते थे। आटे का सुंदर-सा चौक पुरा होता, उसी चौक पर मिट्टी की छः ग़ौरें रखी जातीं, जिनमें कमलेश्वर

'उसने कहा था' हिंदी की ऐसी कालजयी कहानी है जिसकी प्रासंगिकता और सार्वकालिकता इसके कथानक पर ही नहीं, इसकी भाषिक संरचनात्मक विशिष्टता पर भी आधारित है.

उसकी मां अपने लंबे से सूंढ़ में लपेट कर चिंटू को जमीन पर ले आती है।

एक दिन चुनमुन ने बच्चों को उड़ना सिखाने के लिए कहा।

Moral of the quick hindi story – Labor with smartness is The real key to success. Always focus on smart work.

अपने घर पहुँचने पर, उसने तुरंत अपनी पत्नी को मछलियाँ दीं और उसे स्वादिष्ट भोजन बनाने को कहा। पर जब पत्नी ने मछली का पहला टुकड़ा खाया तो वह तुरंत बेहोश हो गई। जैसे ही वह बेहोश हुई, पीछे से एक आवाज आई। आवाज ने किसान से कहा कि उसे उसके लालच की सजा मिली है। किसान ने अपनी गलती के लिए माफी मांगी और अपनी पत्नी को बचाने का अनुरोध किया। आवाज ने किसान को आदेश दिया कि मछली बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले सभी बर्तन उसी सरोवर सरोवर में फेंक दे। उसने वैसे ही किया और इस तरह उसकी पत्नी फिर से उठ खड़ी हुई।

Graphic: Courtesy Amazon A novel prepared by Kashinath Singh, this Hindi fiction reserve was at first printed in Hindi. Established in the spiritual and cultural hub of Varanasi, the novel presents a vivid portrayal of town’s multifaceted daily life and its socio-cultural intricacies. Kashinath Singh explores the complexities of town from the lens of its inhabitants, capturing the essence of Varanasi’s historic traditions, religious tactics, and the clash involving modernity and age-outdated customs.

मोरल – अभ्यास किसी भी कार्य की सफलता की पहली सीढ़ी होती है।

ऐसी 'हिंदी', जो आज के अकादमिक, सांस्थानिक और राजकीय-राजनीतिक प्रयासों से अपठनीय बना दी गई है और जो साधारण हिंदी भाषियों के लिए दुरुह और अजनबी हो चुकी है.

भुवाली की इस छोटी-सी कॉटेज में लेटा,लेटा मैं सामने के पहाड़ देखता हूँ। पानी-भरे, सूखे-सूखे बादलों के घेरे देखता हूँ। बिना आँखों के झटक-झटक जाती धुंध के निष्फल प्रयास देखता हूँ और फिर लेटे-लेटे अपने तन का पतझार देखता हूँ। सामने पहाड़ के रूखे हरियाले में कृष्णा सोबती

विमला खाना परोस रही थी। कमल बैठा पत्र लिख रहा था। वह सोचता था कि जब इसे समाप्त कर लूँगा, तब उठूँगा। देर ही क्या है, कुछ भी तो more info और अधिक नहीं लिखना है। बस, यही दो-तीन, हाँ दो ही पंक्तियाँ और लिखने को हैं कि फिर मैं हूँ और भोजन। और विमला मन-ही-मन झुँझला भगवतीप्रसाद वाजपेयी

अजनार के जंगल में दो बलशाली शेर सूरसिंह और सिंहराज रहते थे। सुरसिंह अब बूढ़ा हो चला था। अब वह अधिक शिकार नहीं कर पाता था।

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